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वीरांगना झलकारी बाई का इतिहास । Jhalkari bai history in hindi.

वीरांगना झलकारी बाई का इतिहास । Jhalkari bai history in hindi.


Jhalkari bai history in hindi.


 Jhalkari bai history in hindi. भारतवर्ष में अनेको ऐसे शूरवीर यौद्धाओ ने जन्म लिया जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के अपनी जवानी लूटा दी । जिन्होंने अपने जीते जी दुश्मनों को आगे बढ़ने नहीं दिया लेकिन हम से बहुत से इन गुमनाम आजादी के नायकों के बारे नहीं जानते है । 

ऐसे ही गुमनाम यौद्धा थी झलकारी बाई ( Jhalkari Bai ) । जो हूबहू झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ( Rani Lakshmi bai ) जैसी थी बल्कि उनकी महिला सैनिकों में से अस्त्र शस्त्र विधाओं से निपुण थी । उनका जन्म भले ही मेघवंशी परिवार में हुआ हो मगर वो किसी शूरवीर यौद्धा से कम नहीं थी तो फिर चलिए जानते है - झलकारी बाई का जीवन परिचय । Jhalkari bai history in hindi.

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झलकारी बाई का जीवन परिचय । Jhalkari bai biography in hindi.


  1. नाम - झलकारी बाई 
  2. पूरा नाम - रानी झलकारी बाई कोली
  3. जन्म - 22 नवम्बर 1830
  4. जन्म स्थान - भोजला गांव ( झांसी )
  5. जाति - कोली ( मेघवंशी )
  6. पिता का नाम - सदोवर सिंह
  7. माता का नाम - जमुना बाई 
  8. पति का नाम - पूरन सिंह
  9. पेशा -  लक्ष्मीबाई की सलाहकार एवं सैनिक
  10. मृत्यु - 4 अप्रैल 1858 


शौर्य कथा कहती है राधा, सुन लो तुम भी देकर ध्यान ।
बात करूँगी झलकारी की, वह  नारी थी  वीर महान ।।


वीरांगना झलकारी बाई का इतिहास । Jhalkari bai history in hindi.

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई से हम सभी परिचित हैं मगर उसके साथ मुख्य रूप से अंग्रेजों को भगाने वाली झलकारी बाई ही थी जिसके सर पर न रानी का ताज था और न ही सत्ता। झलकारी बाई का जन्म पिता सदोवर सिंह और माता जमुना बाई के आँगन में 22 नवंबर 1830 में उत्तर प्रदेश के झाँसी के पास भोजला गाँव में एक कोली परिवार में हुआ था। 

झलकारी बाई का प्रारंभिक जीवन |  jhalkari bai early age life.

झलकारी बाई का आरंभिक जीवन बहुत दुखद रहा । बचपन में ही माता जी का स्वर्गवास हो गया । मेघवंशी समाज में जन्मी झलकारी को पिता सदोवर सिंह जी ने बेटे के रूप में पाला । उन्हें बचपन से ही हथियार चलाने, घुड़सवारी करने की शिक्षा दी गई । झलकारी ने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली मगर फिर भी वह किसी कुशल और अनुभवी योद्धा से कम नहीं थी। बताते हैं कि 12 वर्ष की आयु में जंगल में लकड़ी काटने के दौरान उनका सामना एक बाघ से हो गया । 

झलकारी बाई की शादी । Jhalkari bai marriage. 

झलकारी बाई ने अपनी कुल्हाड़ी से उस बाघ को मार गिराया जिससे वह काफी चर्चा में आ गई । एक बार एक व्यापारी के घर में कुछ डाकू घुस आए और उन डाकुओं का सामना भी झलकारी बाई ने बखूबी किया और उनको भगाने में कामयाब रही। उसकी वीरता को देखकर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना का वीर सिपाही पूरन कोरी से उनका ब्याह किया गया।

विवाह के पश्चात भी एक बार झलकारी बाई की जंगल में बंदूक चल गई और एक जानवर मर गया । मगर कौन सा जानवर मरा यह उसे पता नहीं चला और काँपती हुई वह दौड़कर घर आई और पूरन को बताया कि भेड़ या बछिया मरी है । पूरन  असमंजस में पड़ गए क्योंकि भेड़ के मरने पर जुर्माना पड़ता और गाय के मरने पर तो तौबा तौबा, जेल भी जाना पड़ता। 

झलकारी बाई की कहानी । Jhalkari bai history in hindi.

गाय हमारी गौमाता है । झलकारी के दुश्मनों ने बताया कि बछिया मरी है और वह भी एक ब्राह्मण की है मगर पूरन को यह जानना अति आवश्यक था कि बछिया मरी भी है या नहीं । उसने गुपचुप तरीके से पता किया तो पता चला कि बछिया को कहीं और भेज दिया गया है और बछिया ठीक है तो इस प्रकार से पूरन का सहयोग झलकारी को पूरी तरह से मिलता रहा ।

एक बार गौरी पूजन के समय गाँव की महिलाएं लक्ष्मीबाई से मिलने गई । झलकारी को भी मौका मिला मगर झलकारी को देखकर लक्ष्मीबाई एक टक उसे देखती रह गई । हम शक्ल मानो सामने आईना रखा हो । उसकी खूबसूरती और हूबहू अपनी तरह देखकर लक्ष्मीबाई उससे बहुत प्रभावित हुई । 

लक्ष्मीबाई ने उसके वीरता के किस्से बहुत सुने थे । उन्होंने अपनी महिला दुर्गा सेना में झलकारी को शामिल किया गया। यहाँ झलकारी ने तोप चलाना और तलवार बाजी का प्रशिक्षण भी लिया। युद्ध कौशल में बहुत जल्दी पारंगत होने पर उसे दुर्गा सेना का सेनापति भी बना दिया गया।

झलकारी बाई का व्यक्तित्व | Jhalkari bai ka vyaktitva.

अपनी रानी और देश को बचाने वाली झलकारी बाई शानदार व्यक्तित्व की धनी थी। वह लक्ष्मीबाई से किसी भी रूप में कम नहीं थी। सेना में झलकारी ने अपने शौर्य का परिचय बखूबी दिया । तीर, बंदूक, हथियार चलाना और घुड़सवारी । घुड़सवारी में तो मानो उस का घोड़ा चेतक की तरह हवा से ही बातें करता था। अरि सेना को परास्त करने में झलकारी माहिर थी। लक्ष्मी बाई की परछाई बनकर लड़ने वाली झलकारी कई बार रानी की अनुपस्थिति में भी अंग्रेजों से लक्ष्मीबाई बनकर लोहा  लेती। उससे अरि सेना थरथर काँप जाती थी।

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1857 का विद्रोह एवं झलकारी बाई । swatantra sngram our jhalkari bai.

झलकारी बाई ने आजन्म लक्ष्मीबाई बनकर युद्ध किया। 1857 के विद्रोह में अंग्रेज सैनिक ह्यूज़ रोज ने 23 मार्च 1858 में झांसी पर आक्रमण किया। लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया वह कालपी में पेशवा की सहायता की प्रतीक्षा करती रही। मगर उन्हें कोई सहायता नहीं मिली क्योंकि तात्या तोपे जनरल ह्यूज़ रोज से पराजित हो चुके थे। अंग्रेजों ने झांसी पर आक्रमण कर दिया था तब झलकारी ने स्वयं को शेष युद्ध में लक्ष्मी बाई के रूप में लड़ने का निर्णय लिया और लक्ष्मीबाई को महल के दूसरे दरवाजे से भगा दिया और स्वयं लक्ष्मीबाई बनकर अंग्रेजों से लड़ती रही।

 बुंदेलखंडी गाथा के अनुसार झलकारी लक्ष्मीबाई का रूप धारण करके जनरल ह्यूज़ के शिविर में चली गई ताकि लक्ष्मीबाई को महल से भागने में समय मिल जाए। अंग्रेज जनरल ह्यूज़ खुश हुआ कि उन्होंने आज न सिर्फ झाँसी पर कब्जा कर लिया है बल्कि रानी लक्ष्मीबाई भी उनके कब्जे में है।

जनरल ह्यूज़ ने रानी से पूछा कि आपके साथ क्या बर्ताव किया जाए तो वह बोली चाहो तो मुझे फाँसी दे दो। यह सुन ह्यूज बोले यदि भारत की एक प्रतिशत महिलाएँ भी उसकी तरह वीर बन जाए तो ब्रिटिश सरकार हर हाल में भारत छोड़ने पर मजबूर हो जाएगी। बताया जाता है कि इस दौरान झलकारी के पति पूरन कोरी की भी मृत्यु हो गई । 

मगर उसने अपने पति की मृत्यु का शोक नहीं मनाया । उसने अपने बाल नहीं खोलें क्योंकि यदि वह ऐसा करती तो अंग्रेज सैनिक जान जाते कि झलकारी लक्ष्मीबाई नहीं है । और बताते हैं कि लक्ष्मीबाई के बाद झलकारी बाई भी वीरगति को प्राप्त हुई।


झलकारी  बाई की मृत्यु | Jhalakari bai death.

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि युद्ध में ही 4 अप्रैल 1858 को रानी झलकारी बाई की मृत्यु हो गई थी। बाद में अंग्रेजों को पता चला कि कई दिनों तक उन्हें युद्ध में घेरने वाली और झाँसी के लिए प्राण न्योछावर करने वाली यह वीरांगना लक्ष्मीबाई नहीं बल्कि झलकारी बाई थी। ऐसा माना जाता है कि युद्ध के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था  झलकारी बाई की मृत्यु 1890 में हुई थी । इसे हम विडंबना ही कहेंगे झाँसी को बचाने वाली, अंग्रेजों को भगाने वाली इस वीरांगना को इतिहास में अधिक स्थान नहीं मिला।

झलकारी बाई की समाधि कहा है ?  Jhalakari samadhi.

झलकारी बाई के शहीद होने के बाद भारत सरकार ने 2001 में उनके नाम से पोस्ट और टेलीग्राम टिकट बनवाया। भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपने सर्वे में बताया है की पंच महल के म्यूजियम में झलकारी बाई का भी उल्लेख किया गया है । दिल्ली में और भारत के विभिन्न राज्यों में झलकारी बाई की विशाल मूर्ति चौराहे पर दिखाई देती है। राजस्थान में प्रतिभा स्थापित की गई ।

लखनऊ में उनके नाम का विशाल अस्पताल है, अनीता लोखंडे जी ने तो मणिकर्णिका फिल्म भी बना कर झलकारी का नाम रोशन किया। इस फिल्म में कंगना ने लक्ष्मीबाई का किरदार निभाया। और जितना नाम लक्ष्मीबाई का आता है उससे अधिक कार्य झलकारी बाई ने किए हैं। कई लेखकों की लेखनी से भी झलकारी की वीर गाथा का वर्णन किया गया है।

झलकारी बाई की जयंती । Jhalkari bai jayanti 2022.

प्रतिवर्ष 22 नवंबर को वीरांगना झलकारी बाई की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। इन यौद्धाओ के विचार हमें जीवन में उतारकर अपने देश हित में कुछ करने के लिए थोड़ा सा भी समय मिले तो हमें उस समय का सदुपयोग करना चाहिए क्योंकि लंबा निष्क्रिय जीवन के बजाय यदि हम छोटा सा मगर महत्वपूर्ण जीवन जी लें तो हम इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों से सुशोभित कर सकते हैं ।। राधा तिवारी 'राधेगोपाल' ।।

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