Hockey भारत की 5 बेस्ट महिला हॉकी प्लेयर
सन 1980 मास्को ओलंपिक में पहली बार महिला हॉकी को शामिल किया गया। उसमे भारतीय महिला हॉकी टीम को भी पहली बार ओलंपिक स्पर्धा में भाग लिया। भारतीय महिला हॉकी टीम की पहली बार कप्तानी का भार रितु रानी ने निभाई थी। भारतीय महिला टीम ने मास्को के ओलंपिक में चौथा स्थान प्राप्त किया। लगभग 36 साल के अंतराल के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक में क्वालिफाई लिया। इस महत्वपूर्ण मौके मे जानते हैं उन टॉप 5 हॉकी खिलाड़ियों ( Hockey Player ) के बारे में जिन पर रियो ओलंपिक में हॉकी प्रेमियों की नजर रहेगी।
Indian hockey team
1. रितु रानी (कप्तान) – भारतीय महिला हॉकी टीम के कप्तान रितु रानी (Ritu Rani ) ने महिला हॉकी के लिए अपने खेल से शानदार प्रदर्शन करते हुए कई कारनामें किए हैं। भारत के लिए 200 से ज्यादा अंतराष्ट्रीय मैच खेलकर रितु रानी ने भारतीय महिला हॉकी के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रितु रानी जन्म 29 दिसंबर 1991 मे हरियाणा मे हुआ। रितु रानी श्री गुरु नानक देव सीनियर हाइयर सेकेन्ड्ररी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। महज 12 साल की उम्र में रितु रानी ने अपने अच्छे खेल के प्रदर्शन से हॉकी के पन्नों में अपनी अद्भूत कहानी को लिखना शुरु कर दी थीं। रितु रानी ने अपनी हॉकी की ट्रेनिंग शाहाबाद मारकंडा के शाहबाद हॉकी अकादमी में हॉकी के गुण सिखकर भारतीय महिला हॉकी के लिए इतिहास लिखने के लिए अपनी शुरुआत का आगाज किया था।
रितु रानी बेहतर और प्रतिभावान खिलाड़ी के कारण साल 2011 में रितु रानी भारतीय महिला टीम की कप्तान बनी। रितु रानी के नेतृत्व में भारतीय महिला हॉकी टीम ने कई किर्तीमान अपने नाम किये। 2013 में कुआला लम्पुर में हुए एशिया कप में ब्रांज मेडल एवं इंचियोन में एशियन गेम्स 2014 में ब्रांज मेडल हासिल कर भारतीय महिला हॉकी ने भारतीय प्रशंसकों के दिल को छू गई। रितु रानी के करियर का सबसे ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण समय तब आया है जब उनकी कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम ने लगभग 36 साल बाद ओलंपिक में शामिल हुई जो इस हॉकी खिलाड़ी के योगदान को अमर कर जाता है। रितु रानी ने अब तक 213 मैच भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए खेल चुकी हैं और उनके हॉकी स्टीक से अबतक कुल 16 गोल लग चुके हैं।
2. रितु रामपाल (फॉरवर्ड खिलाड़ी) - भारतीय महिला हॉकी टीम में रितु रामपाल का योगदान महत्वपूर्ण रही। 140 इंटरनेशनल मैच खेल चुके और 114 गोल करने मे सफलता प्राप्त करने वाली रितु रामपाल ने अब तक अपनी योग्यता भारतीय महिला हॉकी टीम में बखुबी निभाई है। 4 दिसंबर 1994 में हरियाणा के शाहाबाद मारकंडा में जन्म लिये रितु रामपाल (Ritu Rampal) फारवर्ड हॉकी खिलाड़ी जो 2009 में सिर्फ 14 साल की उम्र में सीनियर महिला हॉकी टीम में डेब्यू किया था। भारतीय सीनियर महिला टीम में डेब्यू करने के बाद रितु रामपाल ने उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2009 रूस में आयोजित चैंपियन चैलेंजर्स 2nd के फाइनल में 4 गोल करने वाली रितु रामपाल भारतीय महिला हॉकी टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही चैंपियन चैलेंजर्स में रितु रामपाल युवा प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट से सम्मानित किया गया। भारतीय महिला हॉकी टीम मे अच्छे खिलाड़ी के रूप में भी अपनी पहचान बनानें में कामयाब हुई थीं। जब भारत की टीम ने 2009 के एशिया कप में सिल्वर मेडल जीता था तो रामपाल का प्रदर्शन यादगार रहा था। इतना ही नहीं 2010 के हॉकी वर्ल्ड कप मे रितु रामपाल को युवा प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया था। 2010 के हॉकी वर्ल्ड कप में रितु रामपाल ने 7 गोल किए थे जिसके बदौलत भारत की टीम ने बेहतर प्रदर्शन कर वर्ल्ड रैंकिंग में पहली बार 9वां स्थान प्राप्त किया था जो आजतक एक रिकॉर्ड है। वर्तमान में भारत की महिला हॉकी टीम का रैंकिंग 13 है। सन 2014 में रितु रामपाल को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ इंडस्ट्रीज के तरफ से कमबैक ऑफ द ईयर का पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
Top 5 woman hockey player.
इसके अलावा साल 2013 जर्मनी में हुए जुनियर वर्ल्ड कप में भारत की जुनियर टीम ने ऐतिहासिक परफॉर्मेंस कर ब्रांज मेडल जीता था। इसके साथ ही साल 2013 में जापान में हुए थर्ड महिला एशियन चैंपियन ट्रॉफी में भारतीय महिला हॉकी टीम ने सिल्वर मेडल पर कब्जा करने मे कामयाब रही। पूनम उस समय भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा रहीं थी।
4. वंदना कटारिया - वंदना कटारिया (Vandana katariya) का नाम महिला हॉकी में बेहतरीन फारवर्ड खिलाड़ी के तौर पर याद किया जाता है। 15 अप्रैल 1992 को उत्तर प्रदेश में जन्म लिए वंदना ने अपनी खेल से भारती महिला हॉकी में बेहद ही अहम योगदान दिया है। वंदना कटारिया ने 2006 में जुनियर महिला हॉकी टीम में अपना डेब्यू किया था। जुनियर टीम में डेब्यु करने के लगभग 4 साल बाद वंदना कटारिया ने 2010 में सीनियर टीम में अपनी जगह बनानें में कामयाब रहीं थी। 2010 में डेब्यु करने के बाद से वंदना कटारिया ने अबतक 127 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके और 37 गोल दागने का रिकॉर्ड बनाया है जो किसी महिला हॉकी खिलाड़ी के द्वारा किया गया दूसरा सर्वाधिक गोल है। 2013 के जुनियर वर्ल्ड कप में जब जुनियर टीम ने ब्रांज मेडल पर कब्जा किया था तो वंदना भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा रही थी। जुनियर वर्ल्ड कप में खेले 4 मैच में 5 गोल करके वंदना ने टूर्नामेंट में भारत के लिए सर्वधिक गोल किया था। 2014 में हुए हॉकी वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल राउंड 2 में वंदना ने भारत के लिए कुल 11 गोल किए थे। वंदना कटारिया (Vandana katariya) को साल 2014 में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए हॉकी इंडिया के तरफ से प्लेयर ऑफ द ईयर के खिताब से सम्मानित किया गया। वंदना कटारिया की बहन रिता कटारिया भी रेलवे के तरफ से हॉकी खेलती थी।
5. सविता पूनिया (भारतीय महिला हॉकी टीम गोलकीपर) - भारतीय महिला हॉकी टीम में गोलकीपर के रूप में सविता पूनिया (Savita Puniya) जो कमाल किया है वो अपने – आप में शानदार है। हॉकी में गोलकीपर की भूमिका बेहद ही अहम होती है औऱ साथ ही 70 मिनट के खेल में गोलकीपर पर हमेशा दबाव बना रहता है। सविता पूनिया ने अपने शानदार खेल से कई बार विपक्षी टीमों के गोल को बचाकर भारतीय टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। 11 जुलाई 1990 को हरियाणा के जोधकां में जन्म लिए सविता ने भारतीय टीम में गोलकीपर के तौर पर शामिल होकर नई ऊर्जा प्रदान की। सविता ने अबतक 110 अंतर्राष्ट्रीय भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए खेल चुकी हैं। मलेशिया में आयोजित हुआ 8th महिला एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट 2013 में सविता पूनिया ने शानदार प्रदर्शन कर अपनी जगह टीम में पक्की कर ली । इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने ब्रांज मेडल पर कब्जा किया था। आपको आपको मालूम होगा कि सविता पूनिया ने बेल्जियम में हुए ओलिम्पिक क्वालिफाईंग मुकाबले में भारत के लिए शानदार खेल दिखाकर भारत को टूर्नामेंट के अंत तक पांचवें नंबर पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । कई मौको पर विरोधी टीम के प्रहार को नस्तोंनाबूत कर भारतीय टीम को मैच में बनाए रखा था।
परमानंद निषाद
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