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महाराणा प्रताप पर निबंध । Maharana Pratap essay in hindi.

महाराणा प्रताप पर निबंध । Maharana Pratap essay in hindi.



Maharana Pratap essay in hindi.


Maharana Pratap essay in hindi. हिंदुस्तान का प्रदेश राजस्थान, वीरों की भूमि कहलाया । और इसी राजस्थान में कई राजपूतों के कई छोटे बड़े राज्य थे । इन सभी ने भारत की स्वतंत्रता के लिये कई संघर्ष किये । उन्हीं में से एक नाम था मेवाड, जो अपनी अलग पहचान लिये था । क्यूंकि यहाँ बप्पा रावल, महाराणा हम्मीर, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, महाराणा उदय सिंह और महाराणा प्रताप ने जन्म लिया था ।

हमारा भारत देश दुनिया मे दूसरे नंबर का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है । हमारा देश लोकतान्त्रिक देश है । इसीलिए हमें अपनी बात कहने की पूरी आजादी है । भूतकाल में भारत पर कई विदेशी शासकों ने शासन किया । और हमारे हिन्दू शासकों ने अपनी वीरता और शौर्य से भारत का इतिहास रच दिया । इन्हीं शूरवीर राजाओं में से एक साहसी राजा जिन्होंने मुगलों के नाक में दम कर दिया था वो थे महाराणा प्रताप । आप बप्पा रावल के वंशज थे । तो चलिए जानते है - Maharana Pratap essay in hindi.

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महाराणा प्रताप का जीवन परिचय | Maharana Pratap essay and biography in hindi.


आप का जन्म राजस्थान के कुंबलगढ़ में 9 मई 1540 में हुआ था । आपके पिता महाराणा उदयसिंह और आपकी माँ रानी जयजयवंता बाई थीं । आपने अपने पिताजी से तलवार बाजी सीखी । आपकी 14 पत्नियाँ, 17 बेटे और 5 बेटियाँ थीं । अकबर उन दिनों राजपूत लड़कियों से शादी रचाकर उनके राज्य को अपने में शामिल कर रहा था । बस इसी नेति के चलते इसलिए महाराणा प्रताप ने इतनी शादियाँ कीं ।


हल्दीघाटी का युद्ध | Haldi Ghati ka yuddh.

यह युद्ध 18 जून 1576 में हल्दीघाटी में अकबर और महाराणा प्रताप के बीच छिड़ा था । युद्ध से पहले अकबर की तरफ से जयपुर राजा मानसिंह महाराणा प्रताप से मिले और उन्हें समझाया कि अकबर से सन्धि करने में समझदारी है । पर महाराणा प्रताप ने मना कर दिया जिसके कारण अकबर की तरफ से जयपुर राजा मान सिंह प्रथम लगबघ 8000 सैनिकों के साथ और महाराणा प्रताप के साथ 3000 सैनिक और आदिवासी भील थे ।

जयपुर राजा मानसिंह को यह अच्छी तरह मालूम था कि उदयपुर पहुंचना इतना आसान नहीं था क्यूंकि बीच में हल्दीघाटी वाला दर्रा आता था जिसे पार करना बहुत मुश्किल होता है । क्यूंकि पूरा दर्रा एक तरफ से पहाड़ी और दूसरी तरफ से जंगल से घिरा हुआ था । जंगल में भील रहते थे जो अपने राजा महाराणा प्रताप केलिए अपनी जान भी दे सकते हैं । यही सोचते सोचते महाराजा जयसिंह ने हल्दी घाटीे में प्रवेश किया । थोड़े आगे बढ़े हो होंगे कि भील लोगों ने छापामार पद्धति से उन पर हमला बोल दिया । इतनी बड़ी सेना होने पर भी उन्हें दिक्क़तों का सामना करना पड़ा ।

सामने महाराणा प्रताप अपने 3000 घुड़सवार और 400 भील धनुरधारी लेकर खड़े थे । बहुत भीषण युद्ध हुआ । मानसिंह सेना से 7000 और महाराणा प्रताप कि सेना ने 1600 योद्धाओं ने बलिदान दिया । अफगानी राजाओं ने महाराणा प्रताप का साथ दिया । महाराणा ने सारी प्रजा को मेवाड़ के किले के अंदर पनाह दी । धीरे धीरे अन्न कि कमी होने लगी जिसे देख स्त्रियों और सैनिकों ने कम खाना शुरु किया । दुख कि बात यह थीं कि महाराणा प्रताप यह युद्ध हार गए । महल के सभी स्त्रियों ने जोहार किया परन्तु महाराणा प्रताप को मंत्रियो ने गुप्त रूप से बचाकर जंगल के रास्ते सुरक्षित जगह पहुँचा दिया ।


महाराणा प्रताप का इतिहास । Maharana Pratap essay and history in hindi.

महाराणा प्रताप के पिता राजा उदय सिंह ने अकबर के डर से मेवाड को छोड़ दिया और अरावली पर्वत पर जाकर रहने लागे और उदयपुर को अपनी राजधानी बना लिया । महाराणा उदय सिंह ने अपने अंतिम समय में छोटे पुत्र को उत्तराधिकारी घोषित किया जो कि नियम के विरुद्ध था क्यूंकि अभी तक उनके जेष्ट पुत्र महाराणा प्रताप का अधिकार था । परन्तु राजपूत सरदारों से यह सहा नहीं गया और राणा उदय सिंह कि मौत के बाद 1628 फाल्गुनी शुक्लापक्ष 15 याने 1 मार्च 1576 को प्रताप को मेवाड कि राजगद्दी सोप दी । तब तक आधा मेवाड मुग़लो ने छीन लिया था और आधे पर अकबर अपना हक जताना चाहता था । उधर यवन एवं तुर्की भी उदिपुर पर आक्रमण की योजना बना रहे थे । ऐसे मे महाराणा प्रताप ने कुम्भलगढ़ और गोंगुडा को अपना ठिकाना बनाया ।

Maharana Pratap essay and history in hindi


महाराणा प्रताप की राजधानी । Maharana Pratap ki Rajdhani.

चित्तोड़गढ़ मेवाड की राजधानी थी । महाराणा प्रताप यहीं के राजा थे परन्तु बाद में उदयपुर को मेवाड की राजधानी बना दिया गया । जब जब चित्तोड़ के राजा युद्ध में हारे तब तब वहाँ की रानियों ने जोहार किया जैसे रानी पद्मावती, रानी कर्णावती और रानी जयजयवंता ।

महाराणा प्रताप की सच्ची कहानी । Maharana Pratap story in hindi.

महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ गढ़ किले में हुआ । यह किला अरावली की पहाड़ियों हैं । महाराणा प्रताप का पालन पोषण कुका जाति के भीलो ने किया और यही करण था कि यह सब अपने राजा से बहोत प्यार करते थे । जब कुम्भलगढ़ गढ़ पर अकबर की सेना ने हमला किया तब उस सेना को 3 महिने तक रोकने वाले यही भील थे । महाराणा प्रताप के पास अपना घोड़ा चेतक और गज राम प्रसाद था । 

अकबर ने महाराणा प्रताप पर हमला करने से पहले फरमान निकाला था की महाराणा प्रताप और राम प्रसाद को बंधी बनाना हैं क्यूंकि इसी राम प्रसाद ने हल्दी घाटी के युद्ध मे अकेले ही 14 हाथियों को मार गिराया था । राम प्रसाद को बंधी बनाने के लिये अकबर ने 7 बड़े हाथियों और 14 महावतो की मदत ली । बंदी बनाकर उसे 18 दिन खाना पानि दिया परन्तु उस स्वामी भक्त ने कुछ नहीं खाया पिया और अंत मे अपने प्राण त्याग दिए । वही घोड़ा चेतक पैर मे बड़ा घाव होने के बावजूद भी हल्दी घाटी के युद्ध मे से महाराणा प्रताप को जंगल की तरफ ले गया तब उनके पीछे मुग़ल सैनिक भी लगे ।

चेतक ने यह देख कर अपने पैर और जान की परवाह किये बगैर एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर कूद गया और महाराणा प्रताप की जान बचाली । इस तरह उसने अपने स्वामी भक्त की पहचान दिखाई । वही एक इमली के पेड़ के पास वाह गिर पडा और शहीद हो गया । तब ही से उस पेड़ को खोदी इमली कहते हैं ।

महाराणा प्रताप के कुलदेवता एक लिंग महादेव थे । कहते हैं महाराणा प्रताप ने उसी एक लिंग महादेव की कसम खायी थी कि वह अकबर को अपना बादशाह कभी भी नहीं मानेंगे और उसे हमेशा तुर्क हैं कहेँगे । जब महाराणा प्रताप जंगल मे रह रहे थे तब इन्होंने प्रण लिया की जब तक अपने राज्य को मुक्त नहीं करवाते तब तक राज्य सुख नहीं उपभोगेंगे । इसीलिए वह अरावली के जंगल मे ठोकरे खाकर घुमते रहे ।

महाराणा प्रताप ने अपने पिता की अंतिम इच्छा अनुसार अपने सोतेले भाई का राज्य अभिषेक करवाया परन्तु कुछ लोगों ने उस सोतेले भाई का होना राज्य के लिये अशुभ बताया और फिर महाराणा प्रताप को मेवाड का 54 का शासक का ख़िताब मिला । और ऐसे 1567 मे इन्हें मेवाड का उत्तराधिकारी बना दिया गाया । जब वह उत्तराधिकारी बने तक सिर्फ 27 वर्ष के थे । उस समय अकबर अपनी नयी नीति खेल रहा था । वह हिन्दू राजाओं को आपस मे लडवाता और हारे हुए को अपने नियंत्रण मे रखता ।

जब महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक हुआ तभी अकबर ने चित्तोड़ पर हमला बोला । परन्तु महाराणा प्रताप कहाँ डरने वाले थे । उन्होंने अपने साहस और पराक्रम के बल पर अकबर को हराया और राजपूतो को भारत के इतिहास मे सम्मान दिलाया । उन्होंने अपनी जन्म भूमि को ना कलंकित होने दिया और ना ही पराधीन । सीमित साधन होने पर भी वह ना डरे ना झुके ।


महाराणा प्रताप साढ़े सात फूट लम्बे थे और उनका वजन 110 किलोग्राम था । वह अपने शरीर पर 72 किलोग्राम का कवच पहनते थे । उनके हाथ मे हमेशा 80 किलोग्राम का भाला रहता था । यदि उनके सारे शस्त्रों का वजन करेंगे टोह वह प्रेरिदिन करीब 200 किलोग्राम का वजन उठाये युद्ध करते थे ।


महाराणा प्रताप की मृत्यु । Maharana Pratap death.

एक बार महाराणा प्रताप जंगल मे शिकार के लिये गाये । शिकार करते समय शेर ने उनकी छाती पर पंजा दे मारा जिससे उन्हें अंदर तक घाव हो गाया । यह घाव इतना गहरा गया कि 19 जानवरी 1597 को चवाद में मौत ने उन्हें अपनी  गोद मे सुला लिया । मृत्यु की खबर जब अकबर तक पहुँची तब उसे भी बहोत दुःख  हुआ । शत्रु होने के बाद भी अकबर यही कहता कि महाराणा प्रताप निडर राजा था । एक ऐसा राजा जिसने अपने राज्य को संभालने अधीनता को स्वीकारा और कहता की "महाराणा प्रताप का नाम मेरे नाम से पहले लिया जाएगा" ।


महाराणा प्रताप की जयंती | Maharana Pratap ki Jayanti.

महाराणा प्रताप की जयंती अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई 1540 को मनायी जाती है । परन्तु मेवाड उनका जन्म हिन्दू पंचांग तिथि से ज्येष्ठ महिने की शुक्ला पक्ष की तृतीय को हार साल मनाता हैं । और यही करण हैं की इनकी जयंती 2 बार मनाई जाति हैं ।


महाराणा प्रताप के अनमोल विचार । Maharana Pratap ke vichar.


1. आत्मसम्मान सबसे बड़ा सम्मान हैं इसीलिए इसकी हमेशा रक्षा करनी चाहिए ।
2. मातृभूमि और माँ मे तुलना करना मूर्खो का काम है ।
3. जिस व्यक्ति को सम्मान नहीं वह मरे हुए जैसा हैं ।
4. दुनिया सिर्फ कर्मवीरों की ही सुनती है इसीलिए सदा कर्म करो ।
5. समय बहोत शक्तिशाली होता है वह एक राजा को रंक बना सकता ।
6. जो सुख मे सुखी और समस्याओं से डर जाते हैं उन्हें कभी भी सफलता नहीं मिलती ।
7. अपने अच्छे समय मे, अपने अच्छे कामों से इतने विश्वासपात्र लोगों को बनालो कि बुरा समय अनेक पर वह उस बुरे समय को अच्छे मे बदल दे ।
8. मुश्किल की घड़ी मे जो हार मान कर सर नहीं झुका ता, वह हार कर भी जीत जाता है ।
9. सफल और शक्तिशाली व्यक्ति के ही दुश्मन होते हैं ।
10. एक शासक का सबसे महत्वपूर्ण काम है अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाना ।
11. तब तक मेहनत करते रहो जब तक मंज़िल ना मिल जाए ।
12. अपने जीवन को सुख और आराम की ज़िन्दगी की मत बनाओ बल्कि अपने देश की सेवा करो ।
13. मानव कड़ी मेहनत और कष्टों से ही अपना नाम अमर करता है ।
14. पक्का इरादा और अच्छा इरादा हो तो ही आप हमेशा जीतोगे ।
15. दुख, संकट यह आपके जीवन को मजबूत बनाते और अनुभव सिखाते हैं इसीलिए इनसे डरो मत ।
16. रोज़ अपने लक्ष्य और आत्म शक्ति को जगाओ तो ही आप सफल हो पाओगे ।
17. अपने बड़ो के आगे झुको तो पुरा संसार आप झुका सकते हो ।
18. अन्याय, अधर्म का नाश करना सभी का कर्त्तव्य हैं ।

सारांश - महाराणा प्रताप बहोत शूरवीर, स्वाभिमानी और महान राजा थे । भारत माँ की आज़ादी राजपूतो को बचाने के लिये अपनी राजपात छोड़ जंगल मे रहे परन्तु मुग़लो क सामने घुठने नहीं टेके । महाराणा प्रताप वंश को बचाने के लिये संघर्ष करते रहे परन्तु आत्मासमर्पण नहीं किये । जंगल मे रहकर भी धैर्य नहीं खोया । उनके परंक्रम को देख कर भामाशाह शाह ने अपना पुरा खज़ाना उनके हवाले कर दिया । अकबर क डर से राजपूतो ने खुद हैं जाकर अकबर से सन्धि करली । परन्तु 30 साल से शासन मे अकबर कभी भी महाराणा प्रताप को बंधी नहीं बना सका ।। मंजिरी 'निधी' ।।

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