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राम नवमी पर निबंध । Ram navami essay in hindi.

राम नवमी पर निबंध । Ram navami essay in hindi.


Ram navami essay in hindi.


Ram navami essay in hindi. हमारा देश भारतवर्ष सांप्रदायिक सद्भाव वाला देश है । यहां हर समुदाय के व्यक्ति रहते हैं। उनके अपने अपने धार्मिक त्योहार होते हैं । भारत में सभी धर्मों के प्रति लोगों के मन में सम्मान रहता है । भारत में होली, दीपावली, दशहरा, रामनवमी, पोंगल, ओणम, क्रिसमस डे, ईदुलजुहा, ईदुल फितर, तीज, रक्षाबंधन आदि त्योहार बड़ी हर्षोल्लास से मनाया जाते हैं । भारत में हर रोज कोई न कोई त्योहार रहता ही है। भारत में त्योहारों को लेकर आठ वार नो त्योहार वाली कहावत चरितार्थ होती है।

यह त्योहार लोगों में आपसी भाईचारा,  प्रेम और सौहार्द बढ़ाते हैं । त्योहार हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत हैं । जिनका सीधा सीधा संबंध हमारी संस्कृति, सभ्यता से है। त्योहार हमें अपनी पुरातन सभ्यता रहन सहन आदि को याद दिलाते हैं । साथ ही साथ हमें सरस जीवन यापन करने की शिक्षा देते हैं। इसलिए त्योहारों का हमारी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है । आज हम ऐसे ही एक त्योहार रामनवमी के बारे में विस्तार से जानेंगे । जिसका संबंध भगवान राम के जन्म से है।

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राम नवमी कब है 2023 ? Ram navami kab hai.

रामनवमी का त्योहार वर्ष में एक बार मनाया जाता है । हर वर्ष चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन यह त्योहार मनाया जाता है। यह नवरात्रि का अंतिम दिवस होता है। रामनवमी का त्यौहार अंग्रेजी महीनों के अनुसार अप्रैल माह में ही आता है।

इस दिन सभी देश में मां दुर्गा की अंतिम पूजा की जाती है । भगवान राम का जन्मोत्सव सभी हिंदू परिवारों में मनाया जाता है। यह पर्व वर्ष 2022 में 10 अप्रैल, साल 2023 में 30 मार्च को गुरुवार के दिन व साल 2024 में 17 अप्रैल को मनाया जाएगा ।

रामनवमी मनाने के कारण । Ram navami kyo manai jati hai.

हिंदू धर्म में रामनवमी का एक विशेष महत्व है। भगवान राम विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। जिन्होंने त्रेता युग में पृथ्वी को पाप और आतंक से मुक्त करने के लिए जन्म लिया था। यह दिवस भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जगह जगह कई प्रकार के सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा रचित रामचरितमानस के अनुसार इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था।

अयोध्या के महाराज रघु के पुत्र का नाम अज था। अज के एक पुत्र हुआ। जिसका नाम दशरथ था। उसके तीन रानियां थी। लेकिन उनके  परिवार में कोई संतान नहीं थी। पुत्र न होने के कारण वह हमेशा दुखी से रहते थे । एक बार वे अपने कुल गुरु वशिष्ट के आश्रम में गए और उनके सामने अपनी समस्या रखी। कुल गुरु वशिष्ट ने श्रृंगी ऋषि के मार्गदर्शन में एक पुत्र प्राप्ति यज्ञ करवाया। जिससे एक अलौकिक शक्तियों वाला देव पैदा हुआ । 

उसने एक खीर की कटोरी भेंट करते हुए पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। श्रृंगी ऋषि ने वह खीर तीनों रानियों में बांटने को कहा। देव के द्वारा दी गई खीर कौशल्या कैकई और सुमित्रा ने बांटकर खाई। जिससे उन्हें गर्भ ठहर गया। 

नो महीने बाद कौशल्या ने राम को, कैकई ने भरत और  शत्रुघ्न को तथा सुमित्रा ने लक्ष्मण को जन्म दिया। भगवान राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। उस समय अभिजीत महूर्त और कर्क लग्न थी। राम का जन्म दोपहर के वक्त हुआ था। उस समय न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी थी। शांत मनोहर वातावरण था। इस तरह रामनवमी का दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में हिंदू धर्म में हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

राम नवमी कैसे मनाई जाती हैं ? Ram navami kaise manai jati hai.

 इस दिन लोग प्रातःकाल स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं। ज्यादातर लोग पीले वस्त्रों को धारण करते हैं ।भगवान राम के मंदिर में अथवा अपने घर पर ही उनकी मूर्ति के सामने बैठकर उनकी वंदना करते हैं। इस दिन उनके छोटे भाईयो की मूर्ति भी रखी जाती है। रामजी के सेवक हनुमानजी की भी पूजा की जाती है। पूजा अर्चना के बाद आरती उतारी जाती है।

उन्हें वस्त्र, माला, जनेऊ आदि पहनाते हैं। राम जी की मूर्ति के सामने बैठकर रामचरितमानस आदि का पाठ करते हैं। इस दिन लोग उपवास रखते हैं। कुछ लोग उपवास दोपहर में खोल लेते हैं। तो कुछ लोग शाम को उपवास खोलते हैं। भगवान राम को खील बताशे और चावल भेट चढाते हैं।

बड़े-बड़े मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सत्संग, भजन संध्या जैसे कार्यक्रम आयोजित करके जन्म दिन की खुशी मनाई जाती है। साहित्यकार लोग कवि सम्मेलन और गोष्ठियों का आयोजन करते हैं। भंडारे,लंगर लगाकर लोगो को प्रसाद वितरण किया जाता है। लोग नवरात्रि का उपवास खोलते हैं। दुर्गा देवी की उपासना की जाती है। नव दुर्गा के रूप में कन्याओं को दक्षिणा और भोजन करवाया जाता है।

भगवान राम कौन थे ? Bhagwan Ram kya the.

भगवान राम विष्णु के अवतार थे। जिन्होंने सातवे अवतार के रूप में त्रेता युग में जन्म लिया था। उनके पिता का नाम दशरथ और माता का नाम कौशल्या था। महाराज दशरथ अयोध्या के राजा थे। और राम अयोध्या के राजकुमार। भगवान राम ने चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में जन्म लिया था। उन्होंने पृथ्वी से पापों का हरण किया। धर्म की रक्षा की, अधर्म का नाश किया। भक्तों का उद्धार किया। 

उन्होंने लंका के राजा रावण को मारकर उसके आतंक से पृथ्वी को मुक्त किया। भगवान राम  अपने आदर्श चरित्र और पुरुषार्थ से  मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। उनकी अर्धांगिनी महाराज जनक की पुत्री सीता बनी। जो एक विदूषी और पतिव्रता स्त्री थी। भगवान राम की संतानों के रूप में लव और कुश का जिक्र शास्त्रों में मिलता है। जो भगवान राम के ही समान पराक्रमी और बलशाली थे।

राम से सम्बंधित तथ्य | Important factor about for Ram.

1. राम विष्णु के सातवेंअवतार हैं।
2.  राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था।
3. राम की माता कौशल्या और पिता दशरथ जी थे।
4.  राम का जन्म  सरयू किनारे बसे अयोध्या नाम के नगर में हुआ था।
5. राम दोपहर के समय पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में जन्मे थे।
6. राम की पत्नी का नाम सीता था।
7. राम के दो  पुत्र  थे लव और कुश।
8. राम क्षत्रिय जाती के सूर्य वंश में जन्मे थे।
9.  राम के ससुर का नाम जनक और सास का नाम सुनैना था।
10. राम  ने लंका पुरी के राजा रावण का वध किया था।
11.  राम को राजीवलोचन, राजिवनयन, रघुनाथ, रघुकुलमनि, रघुवीर, मर्यादा पुरुषोत्तम आदि नामों से पहचाना जाता है।
12.  राम के परम् सेवक हनुमानजी थे।

राम कुमार प्रजापति, अलवर, राजस्थान

Ram Navami status in hindi.


 राम नवमी पर स्टेटस । Ram Navami status in hindi.


अयोध्या के वासी राम, घट घट में बसते हैं राम ।
ऐसे रघुनंदन हैं श्री राम, मुख से बोलो राम राम ।।

हरे राम हरे राम हरे राम जपते जाओ ।
घर पर भगवा लहरा दो नामस्मरण करते जाओ ।।

मेरे तो प्रभु राम हैं, नगरी अयोध्या नाम है ।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम, तुम्हें करूँ शत शत प्रणाम ।।

आओ सब मिल बोलो राम, दशरथ नंदन तुम हों राम ।
गूँजेगा सदियों ये नाम, कौसल्या सुत तुम्हें प्रणाम ।।


राम नवमी पर निबंध । Ram navami par essay in hindi.

भारत त्यौहारों का देश है । यहाँ हर दिन एक त्यौहार मनाया जाता है । वो धार्मिक हो, राष्ट्रीय हो या मौसमी । फिर चाहें वो शिवरात्रि हो, गुरुनानक जयंती हो, ईद हो, क्रिसमस हो, महावीर जयंती हो,गणतंत्र दिवस हो, स्वतंत्रता दिवस हो, बसंत पंचमी हो, बीहू हो, पोंगल हो, बैसाखी हो या फिर राम नवमी । हम सारे त्यौहार पूरी निष्ठा सादगी और पूरी परम्परा के साथ मनाते हैं ।

हम वैसे तो साल में 4 नवरात्रि मनाते हैं परन्तु चैत औऱ अश्विन मास की नवरात्रि को विशेष रूप से मनाते हैं । जिन्हें हम बसंत नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के नाम सी भी जानते हैं । अयोध्या भूपती दशरथ जी को तीन रानियाँ होने के बावजूद भी संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी । इसलिए उन्होंने वशिष्ट ऋषि को अपनी समस्या बताई । ऋषि जी ने उन्हें कामेष्ठी यज्ञ करने को कहा । यज्ञेश्वर ने उन्हें प्रसाद दे कर तीनों रानियों को खिलाने को कहा । और उसी के नौ महिने बाद सुमित्रा जी ने लक्ष्मण और शतुघ्न, कैकेई जी ने भरत और कौसल्या ने भगवान राम को जन्म दिया ।

 राम जी के जन्म से पहले एक और भविष्यवाणी हुई कि अगर बालक का जन्म दिन के पहले भाग में हुआ तो संसार का सारा यश, वैभव, कीर्ति, सम्पदा और राजपाट सब उनके चरणों में होगा परन्तु यदि दिन के दूसरे भाग में जन्म लिया तो जीवन भर उसे कष्ट सहने पड़ेंगे, संघर्ष से जूझना पड़ेगा, परिवार त्यागना होगा, राजपुत्र होकर भी उसे वनवासियों की तरह जीवन जीना होगा । 

 जब राम जी अवतरित हुए तब सूर्य न तो पूर्व में था न ही पश्चिम में । सूर्य तो आकाश के बिल्कुल बीचों बीच था । न तो वक़्त सुबह का था णा ही शाम का । न दिन का पहला भाग था न दूसरा तो उसी समय मालूम हों गया था कि श्री राम जी को अद्वितीय यश मिलेगा परन्तु अपार कश्तों के बाद ।

 वे जन्मे तो नगर में परन्तु रहे जंगलों में राजपुत्र थे परन्तु तपस्वियों कि तरह रहे । उनके पीछे दास दासियों कि सेना चलती थी और कहाँ चूल्हा जलाने के लिये लकड़ियाँ भी अपने हाथों से कांटना पड़ी । लेकिन राम कभी घबराये नहीं हर आपदा से हस कर मिले । कहते हैं कि जब श्री राम का जन्म होने से पहले जड़ और चेतन हर्षित हों गए थे । प्रकृति ने अपना पूरा माहोल ही बदल दिया था । चैत्र मास शुक्ल पक्ष वार मंगलवार सूर्य मध्यान्ह का । न ज्यादा ठंड न ज्यादा गर्मी । सरयू नदी में पानी कि जगह अमृत बह रहा था ।

पर्वतों को बिना खोदे ही मणियों कि खदाने निकलने लगी थीं । मंद, सुगंध और शीतल पावन बह चली थी । वन,जंगल, बगीचे वनस्पति सभी कुसुमित और फ्लित हों गए थे । देवता सभी एकत्रित होकर पुष्प वर्षा कर रहे थे निनाद होने लगा था । सभी को लगने लगा था कि आज पृथ्वी पर विशेष घटना घटने वाली थी ।


राम नवमी का महत्व । Ram navami ka mahatva in hindi.

राम नवमी का हम सभी के जीवन में महत्व बढ़ जाता हैं क्यूंकि भगवान राम धर्म के प्रतीक थे । भगवान विष्णु के अवतार होने के बावजूद उन्होंने हमें सिखाया कितनी भी विकट परिस्थिति में हमें अपना आपा नहीं खोना चाहिए और धैर्य रखकर काम. करना चाहिए । हमें यह भी बताया असुरी ताकत बढ़ने पर हमें उसका मिलकर विरोध करना चाहिए । उन्होंने एक सभ्यता स्थापित करने की कोशिश की । एक सांसारिक व्यक्ति को कैसे मर्यादा में रहकर धर्म का पालन करना चिहिए यह भी सिखाया  तभी हम उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहते हैं ।

देश में राम जन्म उत्सव भिन्न तरीकों से मनाया जाता है । भगवान राम और सीता जी की मूर्तियों कि शोभायात्रा निकलती है । राम मंदिरों को दुल्हन कि तरह सजाया जाता है । भगवान राम को पालने में रख झुलाया जाता है । भजन, पूजा की जाती है । कुछ लोग राम जी का सतत नाम स्मरण करते हैं । अयोध्या में लोग सरयू नदी में स्नान करते हैं । घरों को दियों से सजाते हैं । शाम को शरयू सरि में दियों को प्रवाहित भी करते हैं ।

 राम नवमी हमारे भारत के बहुत ही प्रचलित त्यौहारों में से एक है जो हमें सिखाता है कि हमारे भगवान पर सच्ची निष्ठा रखो । सभी जीव जन्तुओं के प्यार और सदभावना रखो । बड़ों की आज्ञा क़ज़ पालन करो उन्हें आदर दो ।  सच्ची मित्रता निभाओ, क्रोध मत करो । विकट परिस्थिति में सदा संयम और संतुलन बनाएँ रखो । अपने सिद्धांत और मूल्यों का कभी त्याग मत करो । रिश्तों को सर्वाधिक महत्व दो ।| मंजिरी 'निधि' ||


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