Ad Code

Ticker

रास छंद की परिभाषा, विधान एवं उदाहरण

 रास छंद की परिभाषा, विधान एवं उदाहरण

 

Ras chhand kaise likhe in hindi


हिंदी साहित्य जगत में छंदों का विशेष महत्व है ।  छंद में हर वर्ण एवं मात्रा की गणना के साथ - साथ लय का विशेष ध्यान रखा जाता है ऐसी ही रास छंद  नपी तुली संजीदगी से तराशी गई विधा है ।  आज के दौर में बहुत ही लोकप्रिय है । रास छंद के उदाहरण हमारे धर्म ग्रन्थों में मिल जाएंगे । Ras Chand kaise likhe के बारे में बताने जा रहे है । 


रास छंद का विधान क्या है - Ras chhand vidhan -

रास छंद - रास छंद सम मात्रिक छंद है यह मापनी मुक्त छंद होती है  

विधान – प्रत्येक पद में 22 मात्राएँ होती है,  8 , 8 , 6 पर यति होता है और  पदांत 112 होता है, चार चरण का एक छंद बनता है । क्रमागत दो-दो चरण में तुकांतता होती है ।

 ◆ छप्पय छंद की परिभाषा, विधान एवं उदाहरण

रास छंद के उदाहरण - Ras chhand ke udaharan -


1. साजन और सावन 

तेरा आना,   और न जान,    आस जगे ।

सफ़र सुहाना, साथ निभाना, प्रीत पगे ।।

मेरे साजन, आया   सावन,  जल बरसे ।

अंग लगाओ, प्रीत बढ़ाओ, हिय तरसे ।।


खो  जायें हम,   हवा चली नम,   पेड़ हिला ।

चमके बिजली, दिन से उजली, हृदय खिला ।।

बन   आवारा,  मोर    बावरा,   झूम  रहा ।

गिरती   बूँदें, आँखे   मूँदे,   चूम      रहा ।।


ऋतु मन भावन, पावन सावन, मौसम है ।

सुषमा  न्यारी,   लागे  प्यारी,  हरदम है ।।

आओ   गाएँ,  झूमे   नाचे,   सृष्टि   हँसी ।

सावन   झूलें,   चंपा    फूले,  नूर   बसी ।।


आच्छादित है,  हरियाली से,  आज धरा ।

छाये चहु दिश, है खुशहाली, देख जरा ।।

हरा भरा हे,   मन भी मेरा,   आज प्रिये ।

इस सावन में, हम तुम भीगे, साथ जिये ।।


Hindi chhand भारती छंद कैसे लिखें 


उदाहरण 2 काव्य


काव्य रचे हम,  भाव मगन हो आज चलो ।

महाकाव्य के,  भव्य कथानक, सार ढलो ।।

मन  के  सारे,     भाव  उड़ेले,   पात्र खरे ।

होकर अविचल, निभा भूमिका, नाम करे ।।


मौलिक भाषा,  जन की आशा,  पूर्ण करे ।

सरल सहज हो, सर्व सुलभ हो, ज्ञान भरे ।।

रस की धारा,    नित्य  उभारे,   पाठक में ।

जान डाल दे,   गुण रसवंती,   चातक में ।।


काव्य निभाये,  अहं भूमिका,  इस जग में ।

आत्म विवेचन,  सोच जगाये,  जीवन में ।।

आईना है,  काव्य  जगत  का,  सार दिखे ।

मानव से ही, प्रेरित मानव,  काव्य लिखे ।।


जीवन  दर्शन,  नित्य  कराये,  आगत  का ।

कुशल  चितेरा,  भाव  उकेरे,  चाहत का ।।

काव्य कामिनी, कुंज कली की, कोपल में ।

रंग दिया है,   कोरा कागज,   इक पल में ।।


सुकमोती चौहान रुचिबि, छिया, महासमुन्द, छ.ग.

Post Navi

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Ad Code