मानक भाषा की परिभाषा, स्वरूप और लक्षण । Manak bhasha
Sahitydrshan में आपका स्वागत है । मित्रों भाषा न केवल बातचीत का माध्यम है बल्कि पढ़ाई - लिखाई से लेकर जीवन के अंतिम सत्य तक आधार है । या यूँ कहे कि भाषा हमारा मूल आधार है । आज दुनिया भर में अनेकों भाषाए बोली जाती है । जैसे अंग्रेजी, हिंदी एवं अनेको क्षेत्रीय भाषाए । मानक हिंदी भाषा ( Manak bhasha ) भी एक है । भाषा के कई रूप हो सकते हैं। पर मानक रूप एक ही होता है। मानत अर्थात स्थिर शुद्ध, स्तरीय रूप । मानक भाषा का रूप सभी जगह एक जैसा होता है। ज्ञान विज्ञान में, अध्ययन अध्यापन में, साहित्य एवं संस्कृति में सामान्य रूप से इसी भाषा का प्रयोग होता है। तो चलिए जानते है मानक भाषा की परिभाषा, स्वरूप और लक्षण । manak bhasha -
मानक भाषा की परिभाषा - Manak bhasha kya hai.
मानक भाषा किसी भाषा के उस शिष्ट रूप को कहते हैं जो उस भाषा के पूरे क्षेत्र / परिक्षेत्र में शुद्ध माना जाता है। तथा जिसे उस प्रदेश का शिक्षित और शिष्ट समाज अपनी भाषा का आदर्श रूप मानता है। और प्रायः सभी औपचारिक स्थितियों में, लेखन में, प्रशासन और शिक्षा के माध्यम के रूप में, उसी का प्रयोग करता है। अंग्रेजी में इसे Standard language भी कहा जाता है ।
मानक भाषा का स्वरूप - Manak bhasha ka swarup
मानक भाषा का अर्थ हिंदी भाषा के उस स्थिर रूप से लिया जाता है जो अपने पूरे क्षेत्र / परिक्षेत्र में शब्दावली एवं व्याकरण की दृष्टि से समरूप है। इसलिए वह सभी जनामान्य लोगों द्वारा स्वीकृत हैं। सभी लोगों द्वारा सरलता से समझी जा सकती है। अन्य भाषा रूपों के मुकाबले वह अधिक प्रतिष्ठित है। मानक हिंदी भाषा देश की अधिकृत हिंदी भाषा है। वह राजकाज की भाषा है ज्ञान विज्ञान की भाषा है। Sahity - संस्कृति की भाषा है। अधिकांश राजनेता, विद्वान एवं साहित्यकार औपचारिक अवसरों पर इसी भाषा का प्रयोग करते हैं।
आकाशवाणी व दूरदर्शन पर जिस हिंदी में समाचार प्रसारित होते हैं, प्रतिष्ठित समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में जिस हिंदी का प्रयोग होता है, जिस हिंदी में सामान्यतः मूल लेखन व अधिकृत अनुवाद होता है, वह मानक हिंदी भाषा ही है। Manak hindi bhasha हिंदी के विभिन्न रूपों में सर्वमान्य रूप है। यह रूप पूरी तरह सुनिश्चित व सुनिर्धारित है। तथापि इसमें गतिशीलता भी हैं।
मानक भाषा के लक्षण - Manak bhasha ke lakshan
Manak bhasha भाषा विज्ञान के विद्वानों ने मानक भाषा में कई लक्षणों का होना आवश्यक माना है। प्रमुख लक्षण निम्नानुसार हैं -
1. इसमें मानक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
2. यह भाषा व्याकरण सम्मत होती है।
3. यह भाषा उच्चारण में और लेखन में अशुद्धियों से मुक्त होती है।
4. अपने भाषा क्षेत्र में यह भाषा सर्वमान्य होती है।
5. सभी शिष्ट व्यक्ति औपचारिक अवसरों / पर्व पर इसी भाषा रूप का प्रयोग करते हैं।
6. शिक्षा के माध्यम और अनुसंधान कार्य में भाषा का यही स्वरूप प्रयुक्त होता है।
7. यह उस समाज अथवा राज्य की अधिकृत भाषा होती है।
8. पत्र-पत्रिकाओं, अनुवाद, समाचार प्रसारण प्रशासन आदि में इसका प्रयोग होता है ।
FAQ
Q1. मानक भाषा किसे कहते है ?
Ans - जो किसी भाषा की वह भाषिका होती है जो किसी भी समुदाय, क्षेत्र या फिर राष्ट्र में सम्पर्क भाषा का दर्जा रखे और लोक-संवाद में उनका प्रयोग हो ।
Q2. मानक भाषा में कितने गुण है ?
Ans - manak bhasha का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह मूल से रूप से सामाजिक स्वीकृति होती है । यानी इनका कोई व्याकरणिक या वैज्ञानिक तथ्य जैसे कोई नियम नहीं होते है ।
Q3. मानक भाषा से आप क्या समझते है ?
Ans - मानक वह भाषा है जो शुद्ध, परिमार्जित, परिनिष्ठित रूप माना जाता है । मानक भाषा की व्याकरण सरचना नहीं होती ।
Q5. मानक भाषा की आवश्यकता क्यों होती है ?
Ans - भाषा जीवन निर्वाह एवं सम्प्रेषण करने के आवश्यकता होती है । इसलिए बहुत आवश्यक है कि सामाजिक विविधताओं से ऊपर उठकर सर्वमान्य एवं शुद्ध प्रतिरूप हो ।
Q6. भाषा का मानक रूप कौन देता है ?
Ans - भाषा की मानकता प्रमुख रूप से सामाजिक तत्व से जुड़ी है । चूंकि किसी सरचना या एकरूपता से कोई औचित्य नहीं है । मानक भाषा का प्रयोग शिष्टाचारी लोगों शिष्ट प्रयोग है । संरचनात्मक दृष्टि से मानक भाषा को अपनी भाषा के रूपों में से एक रूप में बोली पर आधारित होती है ।
Q7. मानक स्वर क्या है 200 words ?
Ans - कुछ ऐसे स्वर होते है जो परिभाषा/अर्थ के हिसाब से सटीक होते है । जिनकी संख्या 10 होती है । हिंदी वर्णमाला में अ से औ तक के स्वर को मानक स्वर कहा जाता है ।
Q8. मानक अमानक एवं मानक भाषा क्या है उदाहरण सहित समझाइए ?
Ans - manak bhasha - जो भाषा विज्ञान के तहत मान्य हो । स्वीकारा लिया गया हो। जबकि अमानक - जिसे भाषा विज्ञान के दृष्टि में अमान्य कर दिया गया हो ।
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