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Hindi Diwas हिंदी की वर्तमान स्थिति एवं उनके समक्ष चुनोतियाँ

हिंदी की वर्तमान स्थिति एवं उनके समक्ष चुनौतियां





Hindi Diwas वैदिक संस्कृत, प्राकृत, पालि प्राकृत आदि पड़ाव से गुजर कर हिंदी भारत वासियों के दिल की धड़कन बनी है । देश की प्रगति  के गर्भ में हिन्दी भाषा का विशेष महत्व है । Hindi diwas विश्व के सभी देशों की अपनी एक भाषा होती है।  विश्व के सभी देशों की अपनी एक भाषा ऐसी होती जो संपूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने की क्षमता रखती है और वह क्षमता हिंदी में है।

हिंदी दिवस एवं वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी की स्थिति

हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा - Hindi rajbhasha

सात दशक पूर्व 14 सितम्बर, 1949 को हिन्दी ( Hindi ) को संविधान में अधिकारिक राजभाषा के रूप में स्वीकृत किया गया । हर वर्ष 14 सितम्बर को देश के लोगों को जागरूक करने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है । विशेषकर हिन्दी राज्यों में यह दिवस हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है, जिससे लोगों को, हिन्दी भाषा के बारे में, जानकारी के साथ - साथ भाषा के प्रति लगाव उत्पन्न हो और इसका प्रचार-प्रसार हो सके । इसे मूल रूप से पूरी दुनिया में हिन्दी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा मिले और हिन्दी के विस्तार में सहायक हो । हिन्दी भाषा के साथ तो प्रारंभ से ही सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, हिन्दी को राजभाषा घोषित करने से पहले ही, बहुत ही विरोध का सामना करना पड़ा । इसके अलावा हिन्दी के साथ अंग्रेजी भाषा को 15 साल के लिए राजभाषा के रूप में जगह दी गई।

Hindi bhasha ka vikas

जिसका परिणामस्वरूप यह हुआ कि कुछ राज्यों ने अंग्रेजी को ही, आज तक राजभाषा बनाये रखा है। इसके बावजूद भी आज हिन्दी, अंग्रेजी, चीनी, स्पेनिश, अरबी और फ्रेंच भाषाओं के साथ दुनिया में सबसे अधिक बोलचाल में लायी जाने वाली भाषा है। भारत में आज लगभग 650 से अधिक जीवित भाषाएँ है परंतु भारत वर्ष में आज संपर्क की भाषा के रूप में हिन्दी, अंग्रेजी, और स्थानीय भाषाओं को ही प्रयोग में ही लाया जाता है। हिन्दी भाषा को भारत में तीन चौथाई लोग बोलते और समझते है। हिन्दी भारत के 12 राज्यों की प्रथम भाषा है।वैसे यदि यदि पिछले कुछ वर्षों का आंकलन करें तो हिंदी की बेहतर स्थिति नजर आती है ।यह आम बोलचाल की भाषा बन गई है । उत्तर भारत को छोड़ दे तो पहले देश में अधिकांश हिस्सों में हिंदी को जानने और समझने वाले लोगों की संख्या न के बराबर थी। ठीक इसके विपरीत आज पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों में भी हिंदी भाषा बोलने और समझने वाले लोगों की संख्या बहुतायत में हैं। देश के अधिकांश राज्यों में हिंदी भाषा को प्राथमिक शिक्षा तक अनिवार्य कर दिया है । यदि देखा जाए तो पिछले 70 वर्षों में आम बोलचाल की भाषा में हिंदी का प्रचार बड़ा है । लेकिन सत्ता और शासन के कार्यों में अंग्रेजी का दबदबा आज भी कायम है कितना अजीब लगता है कि देश को स्वतंत्र हुए कितने वर्ष बीत चुके हैं लेकिन हम अंग्रेजी से अपने मोह को नहीं छोड़ पा रहे हैं हिंदी भाषा के सामने।


इन देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है - Kin - kin desho me hindi boli jati hai.

विश्व की बात करें तो दुनिया में तकरीबन 80 करोड़ लोग ऐसे हैं जो इसे बोल या समझ सकते हैं। भारत के बाहर हिंदी जिन देशों में बोली जाती है, उनमें पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, चीन, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस, यमन, युगांडा और त्रिनाड एंड टोबैगो, कनाडा, फिजी, मेलोनेशिया द्वीप आदि देश शामिल हैं।

कुछ देश भारत की सीमा पर बसे है   चीन आदि तथा कुछ देश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश पहले भारत के ही अंग थे। कुछ लोगों को मजदूरी के लिए अंग्रेजो द्वारा दूसरे देश ले जाया गया था, वे अब वहीं के मूलनिवासी हो गए तो उन देशों में भी हिंदी बोली जाती है जैसे फिजी आदि। वर्तमान समय में नोकरियों के लिए हमारे युवा अन्य देशों में जा रहे हैं तो अपने साथ हिंदी भी ले जा रहे हैं। भारतीय संस्कृति का आकर्षण भी लोगों को हिंदी बोलने के लिए प्रेरित करता है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी की क्या स्थिति

वैश्विक स्तर पर दुनिया की सर्वाधिक प्रभावशाली 124 भाषाओं में हिंदी का 10वां स्थान है। इसमें यदि हिंदी की बोलियों और उर्दू को भी मिला दिया जाए तो यह स्थान आठवां हो जाएगा और इस तरह इस सूची में कुल 113 भाषाएं रह जाएगी।

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पावर लैंग्वेज इन्डेक्स केआधार पर ये नतीजे दिए गए है। इंडेक्स में हिंदी की कई लोकप्रिय बोलियों को हिंदी से अलग दर्शाया गया है। 113 भाषाओं की इस सूची में हिंदी की भोजपुरी, मगही, मारवाड़ी, दक्खिनी, ढूंढाड़ी, हरियाणवी बोलियों को अलग स्थान दिया गया है।  जिसका भारत में भारी विरोध भी हुआ था। “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार हिंदी को खंडित करके देखे जाने का सिलसिला रूक नहीं रहा है। यह जानबूझ कर हिंदी को कमजोर करके दर्शाने का षड़यंत्र है और ऐसी साजिशें हिंदी की सेहत के लिए ठीक नहीं। डॉ. चैन की भाषाओं की तालिका के अनुसार, यदि हिंदी की सभी बोलियों को शामिल कर लिया जाए तो हिंदी को प्रथम भाषा के रूप में बोलने वालों की संख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरा स्थान दिया गया हैं।


हिंदी के समक्ष चुनौतियाँ - Hindi ke samaksh chunautiyon.

हिंदी भारतीय सभ्यता, संस्कृति और समाज की भाषा है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इक्कीसवीं सदी में कोई भी भाषा ऐसी नहीं है, जिसको चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ रहा । हालांकि किसी भाषा के सामने चुनौतियाँ कम है और किसी के सामने अधिक हैं। हिंदी अपनी पहचान बनाए रखने के लिए बहुत  चुनौतियों का सामना कर रही है। जो अधोलिखित है-

1. कंप्यूटर - आज की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। क्योंकि समय के साथ-साथ शैक्षिक प्रणाली में भी परिवर्तन हुए हैं, और इस प्रणाली को डिजिटल प्रौद्योगिकी से जोड़ा गया है।  आज के दौर में वही भाषा जिंदा रहेंगी जो अपने आप को बदलते हुए इलेक्ट्रॉनिक और तकनीकि पटल के साथ जुड़ने की क्षमता रखती हैं।

2. अंग्रेजी मानसिकता - आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमेंअंग्रेजी सभ्यता - संस्कृति अच्छी लगती है। बाकी सारी परंपराएँ व्यर्थ लगती है । यहाँ के लोग अंग्रेजी बोल कर स्वयं को ऊँचा समझते हैं जब तक इस मानसिकता को नहीं बदला जाएगा तब तक हिंदी के सामने चुनौतियां आती रहेंगी।

3. भ्रष्ट राजनीति - हिंदी- अहिंदी विवाद को लेकर भारतीय राजनेताओं ने अनेक आंदोलन किए। कई राज्यों में दुष्प्रचार किया गया की हिंदी थोपी जा रही है परिणाम स्वरूप वोट प्रेमी सरकारों ने हिंदी को बलात न थोपने की नीति अपनाई।

4. सरकारी अफ़सर शाही - सरकारी अफसरशाही भी हिंदी की हीन दशा के लिए चुनौती है। आजादी के बाद सरकार के बड़े बड़े अधिकारियों ने जानबूझकर हिंदी की बजाय अंग्रेजी का वर्चस्व बनाए रखा।

5. साहित्य को खरीदने में रुचि न होना- हिंदी में श्रेष्ठ पठनीय सामग्री का अभाव है। हिंदी की पत्र -पत्रिकाएं अंग्रेजी की पत्र-पत्रिकाओं की तुलना में कहीं नहीं ठहरती है। हिंदी पाठक भी इसके लिए दोषी है।वे अच्छे साहित्य को खरीदने में रुचि नहीं दिखाते है। 

6. प्रांतीय भाषा - भाषाओं से कड़ी चुनौतियाँ मिल रही हैं । इन भाषाओं में प्रतिस्पर्धा का माहौल है जिसके कारण वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हिंदी भाषा को हानि पहुँचा रही हैं ।

7. हिंग्लिश भाषा - मीडिया अपने लाभ के लिए हिंग्लिश का प्रचार- प्रसार कर रही है हिंग्लिश के कारण हिंदी के समक्ष अपनी शुद्धता को बनाए रखने की चुनौती सामने आ गयी है।

 8. चित्रपट - चित्रपट में हिंदी भाषा के साथ अंग्रेजी भाषा के प्रयोग के कारण भाषा में अशुद्धता गई है और हिंदी को  शुद्धता को संभाले रखना एक चुनौती बन गई है ।

9. मशीनी अनुवाद - इतना पर्याप्त नहीं है कि पाठकों की माँग को पूरा किया जा सके।

 10. शोध व अनुसंधान - के लिए हिंदी भाषा में शोध अध्ययन सामग्री उपलब्ध नहीं है इस चुनौती का सामना भी हिंदी को करना पड़ रहा है ।अंग्रेजी भाषा मे उपलब्ध अध्ययन सामग्री का उपयोग विद्यार्थी करते हैं।

11. विज्ञापन - बाजार भी दिन-प्रतिदिन चुनौती उत्पन्न कर रहा हैम। जिसके तहत एक वर्ग विशेष को लुभाने के लिए विज्ञापन तथा उत्पाद का नाम  अंग्रेजी में प्रसारित किया जा रहा है ।यह भी हिन्दी भाषा के लिए चुनौती है।

12. अपने स्तर की चिंता - अपने स्तर की चिंता लोगों को बहुत है। लोगअंग्रेजी बोलने में बड़ा गर्व अनुभव करते हैं। हिंदी के प्रति श्रद्धा तो है किंतु गर्व का भाव नहीं है। जब तक गर्व नहीं होगा हिंदी के प्रति यह चुनौती भी  सदैव ही रहेगी।

 13. मानसिकता - लोगों की मानसिकता ऐसी बन गई है कि अंग्रेजी बोलने और लिखने वाले ही पढ़े लिखे होते हैं हिंदी बोलने और समझने वाले, लिखने वाले उनकी दृष्टि में पढ़े -लिखे नहीं होते इस मानसिकता को भी बदलने की आवश्यकता है। यह मानसिकता चुनौती दे रही है।

 14. दोगलापन - दोगलापन से तात्पर्य है कि लोग दिखावे के लिए तो कहते है हिंदी को राष्ट्रभाषा होनी चाहिए हिंदी का प्रयोग करना चाहिए किंतु जब इंग्लिश नहीं आती तो अपने आप को शर्मिंदा महसूस करते हैं और इंग्लिश बोलने वालों का सम्मान करते हैं इस चुनौती के सामने हिंदी दया की पात्र बन जाती है।

15.  पुस्तकें उपलब्ध न होना--विज्ञान व तकनीकि क्षेत्र में हिंदी भाषा की उच्च कोटि की पुस्तकें उपलब्ध नहीं है।

16. प्रोत्साहन की कमी - हिंदी भाषा के कार्यक्रमों में हिंदी भाषा से प्राप्त उपलब्धियों को प्रोत्साहन नहीं दिया जाता ।इससे व्यक्ति निराश हो जाता है।ये भी वर्तमान में एक चुनौती बनकर उभर रही हैं।

17. सरकारी अधिकारियों की मंशा - ये बड़े - बड़े अधिकारी कभी नहीं चाहते कि हिंदी भाषा का वर्चस्व स्थापित हो । अपनी झूठी शान के चक्कर में हिंदी की उपेक्षा करते हैं।



जहाँ चुनौतियाँ होती हैं वहाँ समाधान व सुझाव भी होते हैं ।

1. हिंदी की दुर्दशा के लिए शिक्षा पद्धति और शासन व्यवस्था दोनों जिम्मेदार है। अगर देश पर हावी अंग्रेजियत को हटाना है तो शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन लाना होगा पहली से आठवीं तक कक्षा की शिक्षा में भारतीय भाषाओं का प्रयोग अनिवार्य करना होगा।

 निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,

 बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।

 2. रोज़गार की भाषा बनाई जाए-हिंदी को रोजगार की भाषा बनाई जाये ताकि इसके प्रति लोग आकर्षित हो और हिंदी की पढ़ाई के प्रति रुचि जागृत हो ।

3. विज्ञान व तकनीक - विज्ञान तकनीकी भाषा बनाई जाए व इससे संबंधित अध्ययन सामग्री उपलब्ध करवायी जाये।

4. हिंदी विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए तथा लोगों को वहाँ रोजगार उपलब्ध करवाएँ जाएँ।

5. विभिन्न राष्ट्रों के साथ अनुबन्ध- विभिन्न राष्ट्रों के विद्यालय/विश्वविद्यालय के साथ अनुबंध किए जाएँ  जिससे  विदेशी विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की स्थापना हो सके।

6. आत्मनिर्भरता -अंग्रेजी पर आत्म निर्भरता कम करके भी हिंदी का विकास किया जा सकता है।

7. संकुचित नजरिया को बदले। अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाएँ। हिंदी गर्व के साथ बोले व लिखें।

8. राष्ट्रीय - अन्तर्राष्टीय स्तर पर सोशल मीडिया ,प्रिंट मीडिया, टीवी सिनेमा, शासकीय व गैर सरकारी कार्यों का संपादन अनिवार्य रूप से हिंदी में किया जाए।

 9. विभिन्न भाषाओं के साहित्य का अनुवाद हिंदी भाषा में किया जाए ।

10. उन्हीं लोगों को सरकारी नौकरियाँ प्रदान की जाए जिन्हें हिंदी अच्छे से लिखना- पढ़ना आता है। जो हिंदी को महत्व दें सरकारी स्कूल में पढ़े लोगों को ही सरकारी नौकरी दी जाए।

 11. सरकारी नौकरी करने वालों के बच्चे हिंदी माध्यम सरकारी स्कूल में ही पढ़े।

12. प्रचार -प्रसार..-हिंदी के प्रचार -प्रसार में कमी न रखी जाएँ।

13. उन्हीं कलाकारों की फ़िल्म देखी जाएँ जो हिंदी भाषा में अपना साक्षात्कार देते हैं।

14.  सारे सरकारी कार्य हिंदी में अनिवार्य किए जाएँ।

15. स्वप्न संसार की जो ( विभिन्न आयोग)परीक्षा या साक्षात्कार होते हैं उन्हें हिंदी भाषा में अनिवार्य कर दिया जाए। चाहे कितनी भी चुनौती आये हिंदी भाषा उनका सामना करती रही है और स्वयं को उभारती रही है ।

तो मित्रों उम्मीद करते है आपको यह जानकारी रोचक लगी होगी । यदि आप सच्चे हिंदी के सेवक है तो कमेंट बॉक्स में जय हिंदी जय भारत जरूर लिखे ।। मीना जैन दुष्यंत ।।

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