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महिला सशक्तिकरण पर निबंध । Women empowerment essay in hindi.

महिला सशक्तिकरण पर निबंध । Women empowerment essay in hindi.


Women empowerment essay in hindi.


Women empowerment essay in hindi. महिला सहशक्तिकरण आज के दौर में सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं । क्योंकि महिलाओं को आत्मनिर्भर, सहशक्त एवं सक्षम बनाने के लिए मुख्य कड़ी है । यही कारण है कि सरकार इस मामले में लगातार प्रयास कर रही है । 

Women empowerment एक ऐसा स्थिति है तो महिलाओं को अधिकारो के प्रति जागरूक करके उन्हें हक एवं अधिकार प्रदान करता है जिससे न केवल सामाजिक, आर्थिक बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी स्थिति में सुधार आता है तो चलिए जानते है - Women empowerment essay in hindi.

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध । Women empowerment essay in hindi.

प्रस्तावना - सुंदरता के अनेक रूप प्रस्तुत किए जाते हैं, अनेक प्रतिमान गढ़े जाते हैं, अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए जाते हैं परंतु ईश्वर की सर्वोत्तम कृति एवं सुंदरता का अप्रतिम उदाहरण नारी के अतिरिक्त कोई दूसरा नहीं हो सकता क्योंकि वह अपने अंदर सुंदरता के अनेक रूप समेटे रहती है। छोटी सी बच्ची से एक मां, एक बेटी एवं धीरे-धीरे  बचपन की सीढ़ियों को पार करती हुई वृद्धावस्था तक  पहुंच कर सुंदरता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती नारी-

महिला सशक्तिकरण का अर्थ क्या है ? What is women empowerment.

नारी इस संसार नाम के जहान की धुरी है । या यूं कहें कि संसार नाम के रथ का एक पहिया है जिसका सहशक्त होना बेहद जरूरी है । जिस प्रकार दोनो पहियो में से एक पहिया खराब या पंचर हो तो वाहन चल नहीं सकता है ठीक उसी प्रकार नारी के पहिए को मजबूत एवं सहशक्त होना आवश्यक है । 

अब सवाल यह है कि ये सहशक्त, सहशक्तिकरण क्या है ? महिला सहशक्तिकरण का तात्पर्य स्वविवेक से लिया जाता है । एक महिला इस प्रकार से सक्षम हो कि अपने सारे निर्णय स्वयं ले । वो इस प्रकार सक्षम हो  कि अपनी जिंदगी के हर फैसले स्वयं ले ।

नारी शक्ति स्वरूपा है इसलिए उसके भीतर की शक्ति को जागृत करके उसे उसके अस्तित्व से परिचित कराने का दूसरा नाम है महिला सशक्तिकरण। जो महिलाओं को सहशक्त बनाकर सामाजिक, आर्थिक रूप से सुधार लाता है ।

भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता -

आज देश में महिला सशक्तिकरण की प्रबल आवश्यकता है, अगर महिलाएं सशक्त होंगी तो देश सशक्त होगा। अगर हम प्राचीन इतिहास पर दृष्टि डालें तो अनेक वीरांगनाओं ने युद्ध क्षेत्र में पुरुषों के साथ डटकर मुकाबला किया है। महिला सशक्तिकरण का इससे अच्छा उदाहरण तो दूसरा हो ही नहीं सकता। हमारे देश की प्रत्येक महिला शक्ति का अजस्र स्रोत है, उसकी छिपी हुई शक्तियों को जागृत करके देश का विकास किया जा सकता है।

भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं-

यह बात अक्षरश: सत्य है कि बाधाएं व्यक्ति की उन्नति में रुकावट का कार्य करती हैं इनमें कुछ प्रमुख हैं- अशिक्षा, दहेज प्रथा, नारी शोषण, अंधविश्वास, पितृसत्तात्मक समाज आदि। हम इन बुराइयों का समूल नाश करके ही देश को प्रगति के पथ पर ले जा सकते हैं।

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका-

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका भी सराहनीय है सरकार द्वारा अनेक अधिनियम एवं योजनाएं बनाई गई हैं जो महिलाओं के उत्थान में सहयोग देती हैं। सरकार के सहयोग के बिना महिलाओं को सशक्त करना आसान नहीं था साथ ही समाज के बुद्धिजीवी वर्ग ने भी इसमें अपना भरसक सहयोग दिया।

संसद द्वारा महिला सशक्तिकरण कानून । Mahila sashaktikaran kanoon.

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई गई हैं- जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, समर्थ योजना आदि। इन योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाना है। महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गई पंचायतों और नगर निगमों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए सन् 1993 में 73 वां और 74 वां संविधान संशोधन किया गया। महिलाओं के लिए प्रमुख कानून इस प्रकार है -

● कार्य- स्थल में उत्पीड़न के खिलाफ कानून ।

●  महिला हेल्पलाइन योजना ।

● संपत्ति पर अधिकार ।

● कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार ।

●  पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण ।

● समान वेतन का अधिकार ।

● गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार  ।

● उज्जवला योजना ।

● बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ योजना ।

● महिला हेल्पलाइन योजना ।

महिलाओं की राष्ट्र निर्माण में भूमिका ।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसका राष्ट्र सर्वोपरि होता है जहां पुरुषों ने देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया वहीं महिलाएं भी इस कार्य में पीछे नहीं रहीं। उन्होंने राष्ट्र के निर्माण में अध्यापिका, परिचारिका, चिकित्सक, समाज सेविका, सांसद एवं प्रधानमंत्री बन कर अपना अप्रतिम योगदान दिया।

महिला सशक्तिकरण के लाभ | Mahila Sashaktikaran se labh.

महिलाओं को सशक्त बनाने से संपूर्ण नारी जाति सम्मान से जीवन जी सकेगी, उनके सपने पूरे हो सकेंगे, असमानता की भावना समाप्त होगी, नारियों की बेड़ियां समाप्त होगी और उन्हें आगे बढ़ने के सुअवसर प्राप्त होंगे।

उपसंहार - निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि आदिकाल से नारी का योगदान अभूतपूर्व रहा है। उसने न केवल घर के अंदर की जिम्मेदारियों का निर्वाह किया अपितु घर की चारदीवारी को लांघ कर, अनेक विघ्न बाधाओं को पार करके, सर्वोच्च लक्ष्य को भी प्राप्त किया। नारी में आकाश की विशालता है, पृथ्वी सा धैर्य है, हिमालय सी दृढ़ता है, और पुष्पों सी कोमलता है।

स्मिता पांडेय लखनऊ

Women empowerment in hindi.


महिला सहशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में । women empowerment essay in hindi.

महिला सशक्तिकरण यानी समाज, देश में बहुत कुछ बदलने की क्षमता रखना । आज की महिला किसी भी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से सुलझा सकती है । वह परिवार, समाज देश की आर्थिक स्थिति का योग्य प्रबंधन करने में सक्षम है । महिला को यह अवसर आसानी से नहीं मिला । उसे संघर्ष करना पड़ा । लिंग भेद सबसे बड़ी रुकावट थी । लिंग भेद को मिटा कर स्त्री पुरुष समानता के लिए उसे लडना पडा । लिंग भेद मिटने से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला । महिला पुरुष दोनों में समानता आने से नारी सशक्तिकरण तेजी से होने लगा । महिलाओं ने अपने अधिकारों को जाना पहचाना ।

आज जीवन में उसे क्या चाहिए ? इसकी स्पष्ट रूपरेखा वह स्वयं निर्धारित करती है और उसी दिशा में मन प्राण से लग जाती है ।  महिला जीवन की शुरुआत बेटी के रूप में जन्म लेने से  होती है । जिस घर में जन्मती है खूब लाड़ दुलार पाती है, फूलों- सी महकती चहकती और विकसित होती रहती है । शादी कर ससुराल जाती है बहू बन मान सम्मान पाती है । पति की गृहस्थी संभालती है, पति पर प्यार उंडेलती है

 पति संग समर्पण करती है । मां का दर्जा पाकर फूली नहीं समाती । मां बन ममता, वात्सल्य, स्नेह की अमृतधारा बच्चे पर लुटाती है.गुरु बन बच्चे को  संस्कारित करती है उसे सुजान बनाती है । सृष्टि की रचना कर मानव जीवन धन्य बनाती है ।

भारत में महिला सहशक्तिकरण का महत्व । Mahila sashaktikaran ka mahtva.

आज की नारी जब कार्यक्षेत्र में उतरती है तब पुरुषों को पीछे छोड़ देती है । कौन सा ऐसा क्षेत्र है जहां नारियों ने अपनी पहुंच नहीं बनाई । आज की नारी पायलट बन हवाई जहाज उड़ाती है । अंतरिक्ष में चांद सितारों, मंगल ग्रह को तलाशती है । साथ ही सेना में भर्ती हो अपना कौशल दिखलाती है । पुलिस में भर्ती होकर प्रशासन की बागडोर संभालती है जैसे किरण बेदी ।

 दूसरी ओर वह रिक्शा, कार, बस, रेल इंजन भी चलाती है. हर काम कुशलता से करती है । खेलकूद जगत में पीटी उषा, मेरी कॉम, साइना नेहवाल बनकर मेडल जीतती है । राजनीति में इंदिरा गांधी, शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे सिंधिया, निर्मला सीतारमण बन नाम कमाती है ।

कंपनी की सीईओ बनकर कंपनी को विकास के शिखर पर ले जाती है जैसे इंदिरा नूयी, सुधा कृष्ण मूर्ति आदि कहा जाता है -

इत्र से कपडों को महकाना,

कोई बड़ी बात नहीं, 

मजा तो तब है

जब आपके किरदार से महक आए ।

शिक्षित और शहरी  महिलाओं ने काफी हद तक प्रगति कर ली है पर ग्रामीण जीवन में महिलाएं आज भी पुरुष समाज से प्रताड़ित हो रही हैं वे अपनी जी तोड़ मेहनत से अपनी गृहस्थी की गाड़ी सुचारू रूप से चलाने की भरसक कोशिश करती रहती हैं  पर पति से उसे कोई सहयोग नहीं मिल पाता परंतु अपने बच्चों की खातिर वह वह खामोशी से यातनाएं सह लेती हैं ।

महिला सहशक्तिकरण के उपाय । Mahila sahashaktikran ke upay.

महिला चाहे शहर की हो या गांव की कहीं भी सुरक्षित नहीं है । वह कलुषित मानसिकता वाले पुरुषों से सताई जा रही है । हमारे समाज में ओछी मानसिकता वाले पुरुषों का चारित्रिक पतन इस कदर हो गया है कि वे दो, चार, सात, दस, बारह, पंद्रह वर्ष की नाबालिग बच्चियों के साथ भी बलात्कार जैसा घिनौना अपराध करते हैं ।  युवा, प्रोढा और वृद्ध महिलाएँ भी उनकी हवस का शिकार हो रही हैं । दिल्ली में हुए  निर्भया कांड ने संपूर्ण समाज और देश को हिला कर रख दिया था । सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कुछ ठोस योजनाएँ बनाई है जैसे -

● बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ।

● सर्व शिक्षा अभियान ।

● इंदिरा महिला योजना ।

● बालिका समृद्धि योजना ।

इन सभी योजनाओं को जोर शोर से चलाया जा रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम  कुछ हद तक दिखाई दे रहे हैं । यदि समाज, सरकार और एन जी ओ  अपनी अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाते हैं तो शीघ्र ही परिवर्तन आएगा ।

पीड़ित महिला को शीघ्र न्याय मिले इस दिशा में सरकार और न्याय पालिका को मिलकर ठोस निर्णय लेना चाहिए. सभी परिस्थितियों में सुधार हो सकता है । प्रत्येक देश की सफलता का पैमाना वहाँ की महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से ही निर्धारित होता है । अंत में सभी महिलाओं के लिए कुछ पंक्तियां इस प्रकार है -

  • टूट कर बिखरना और बिखर कर
  • संवरना  ही जिंदगी है बहनों
  • अपने हौसलों के तरकश में
  • कोशिश का वह तीर ज़िंदा रखो
  • हार जाओ चाहे जिंदगी में सब कुछ
  • मगर फिर से जीतने की उम्मीद
  • जिंदा रखो बहनों ।

महिला शक्ति को शत् शत् नमन्  ।

लेखिका - श्रीमती चंन्द्रकला भरतिया नागपुर महाराष्ट्र


भारत में महिला सहशक्तिकरण की आवश्यकता एवं महत्व । Mahila sahashktikaran par nibndh.

हमारा देश एक विकासशील देश है । पोस्ट कोरोना पीरियड में हमारे यहाँ उद्योग, व्यापार, कृषि, सेवा-क्षेत्र आदि सहित अर्थव्यवस्था के सभी अंगों का विकास होने की असीम संभावनाएँ हैं । किसी राष्ट्र के विकास में पुरुषों के साथ साथ महिलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है । हमारे देश के लिए यह सौभाग्य की बात है कि देश की आबादी का करीब आधा हिस्सा महिलाओं का हैं । महिलाओं में भी लगभग साठ प्रतिशत हिस्सा युवतियों का है । इन युवतियों सहित समस्त महिलाओं का सशक्तिकरण को पूर्ण क्रियाशील बना दिया जाता है तो देश का तीव्र गति से आर्थिक विकास हो सकता है । 

समस्त महिला शक्ति को पूर्ण क्रियाशील करने के लिए अनेक कदम उठाने जरूरी हैं । इनमें से सबसे ज्यादा जरूरी युवतियों सहित समस्त महिला शक्ति में उद्यमिता के ट्रेट्स या गुण विकसित करने की है । उद्यमिता एक अत्यंत व्यापक शब्द है । अतः इसका अर्थ भी विस्तृत है । किसी कार्य को करने की जोखिम उठाना, संस्था में संगठन व समन्वय करना, प्रबंध कौशल, नवोन्मेषी कार्य करना, उत्पादन के विभिन्न कार्य करना आदि सभी कार्य इसमें शामिल है पोस्ट कोरोना पिरीयड में राष्ट्रीय विकास में उद्यमिता, विशेषतः महिला उद्यमिता, की महत्ती भूमिका हो गयी है । 

महिलाओं में उद्यमिता कला का विकास करने की दृष्टि से मैनेजमेंट साइंस रिलेटेड कम्युनिकेशन स्किल्स, प्रोफेशनल स्किल्स, लीडरशिप स्किल्स, ह्यूमन बिहेवियर स्किल्स आदि से संबंधित उद्यमिता विकास के पाठ्यक्रम प्रमुख है । आत्म निर्भर भारत अभियान की सफलता के लिए यह जरूरी है ।

देश में तीव्र गति से औद्योगिक विकास, आर्थिक प्रगति एवं महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से भी महिला उद्यमिता- विकास अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है । आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की  उल्लेखनीय भूमिका होती जा रही है । 

वर्तमान समय में भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में महिला सशक्तिकरण व स्वावलंबन की मांग उठ रही है । अतः महिला सशक्तिकरण एवं आर्थिक स्वावलंबन के लिए महिलाओं में उद्यमिता का विकास आवश्यक है । आज महिलाऐं हमारे परंपरागत खेती के कार्यों में लगभग 50 प्रतिशत योगदान देती है । इसके अलावा उत्पादन, वितरण, वित्त, विपणन, प्रबंधन, शैक्षिक, बीमा, चिकित्सा, सेवा-क्षेत्र आदि कार्यों में भी ये अपना उल्लेखनीय योगदान दे रही है ।

हमारे देश में महिला उद्यमिता-विकास के माध्यम से महिला सशक्तिकरण द्वारा महिलाओं की सफलता के अनेक उदाहरण है । इनमें वंदना लूथरा, सुधा मूर्ति, सूचि मुखर्जी, इन्दिरा नूई, शिखा शर्मा,  नैना लाल किदवई, आदि प्रमुख है । महिला उद्यमिता के विकास के लिए एक महिला में कुछ विशिष्ट गुण व विशेषताएँ होनी चाहिए । इनमें आत्म-विश्वास, जोखिम वहन क्षमता, नेतृत्व क्षमता, मौलिकता, नवोन्मेषी, दूरदर्शी, परिश्रमी आदि प्रमुख है । 

इसके अलावा Women empowerment एवं महिला उद्यमिता के विकास लिए कुछ अन्य आवश्यक गुण व विशेषताएँ हमारे देश की महिलाओं को नैसर्गिक रूप से प्राप्त है । इनमें विनम्रता, निष्ठा, सचरित्रता, आदरभाव, सहनशीलता, सहयोगी भावना, त्याग आदि शामिल है । अतः पोस्ट कोरोना काल में हमारे देश के तीव्र आर्थिक विकास के लिए महिलाओं में महिला सशक्तिकरण के माध्यम से महिला उद्यमिता का विकास करना सम्भव है । महिलाओं को अपने कैरियर के क्षेत्र में सफल होने के लिये सर्वप्रथम अपने आपको शारिरिक रूप से आकर्षक व्यक्तित्व वाला बनाना चाहिए । इसके लिए अपने स्वास्थ्य को सही रखें, अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाने के प्रयास करें तथा लगातार परिश्रम करने की इच्छा रखें ।। प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी, बीकानेर ।।

          

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